Monday, June 19, 2017

वर्ण विच्छेद

कमल = क् + अ  + म्  + अ + ल्  + अ

कार = क् + आ + र् + अ

अनेकता = अ + न् + ए + क्+ अ + त् + आ

किसान = क् + इ + स् + आ+ न् + अ

पुस्तकालय = प् + उ + स् + त् + अ + क् + आ + ल् + अ + य् + अ

बाँसुरी = ब् + आँ + स् + उ + र् + ई

बचपन = ब् + अ + च + अ + प् + अ + न्  + अ

आकृति= आ + क् + ऋ + त् + इ

आभूषण = आ + भ् + ऊ + ष् + ण् + अ

सोहन = स् + ओ + ह् + अ + न् + अ

श्रृंगार = श् + र् + अं + ग् + आ + र् + अ

एकता = ए + क् + अ + त् + आ

अश्व = अ + श् + व्  + अ

धृष्टता = ध् + ऋ + ष् + ट् + अ + त् + आ

हृदय = ह् + ऋ + द् + अ + य् + अ

भर्तृहरि नीतिशतक

एके सत्पुरुषाः परार्थघटकाः स्वार्थं परितज्य ये
सामान्यास्तु परार्थमुद्यमभृतः स्वार्थाऽविरोधेन ये ।
तेऽमी मानुषराक्षसाः परहितं स्वार्थाय निघ्नन्ति ये
ये तु घ्नन्ति निरर्थकं परहितं ते के न जानीमहे ।। नीतिशतक

🌹भर्तृहरि कहते हैं  इस विश्व में 4 प्रकार के लोग होते हैं पहले ‘सत्पुरुष’ हैं जो दूसरों के हित के लिए स्वार्थ का ही त्याग कर देते हैं।

🌿दूसरे ‘सामान्य’ लोग होते हैं, जो इस बात का ध्यान रखते हैं कि अपनी स्वार्थसिद्धि से दूसरों का अहित तो नहीं हो रहा है ।

🌹तीसरे वे हैं जो इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि क्या उनकी स्वार्थपूर्ति  अन्य लोगों का नुकसान तो नहीं हो रहा है । भर्तृहरि इनको ‘मानुषराक्षस’ कहते हैं।

🌿चौथे वे लोग हैं जो दूसरों के हित के विरुद्ध कार्य करते हैं भले ही इससे उनका कोई स्वार्थ सिद्ध हो अथवा न हो रहा हो ।

🌹King Bharthari says in this shloka that there are 4 kinds of people in this world.

🌿First are the noble souls who give up their own interests for the sake of others.

🌹The second category listed by him is that of the ordinary people who
always take care whether their purpose of their interests is not in contradiction to other people's interests.

🌿Third are those people who do not give a damn whether their interests are in contradiction to others's,  they are called demons in.the humane form by the king poet.

🌹And fourthly there are those people who do not have any interest but are happy hurting others because they find joy in it.

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