Wednesday, September 14, 2016

सर्वनाम और उसके भेद

सर्वनाम

संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दोँ को सर्वनाम कहते हैँ। सर्वनाम का अर्थ है-सबका नाम। जो शब्द सबके नाम के स्थान पर आते हैं वे सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे– मैँ, तुम, हम, वे, वह, कौन, यस, उसका, उसकी आदि।

सर्वनाम के भेद-

1. पुरुषवाचक सर्वनाम-

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए ( मैं, मैनें) या श्रोता के लिए (तुम, तुम्हारे) या किसी अन्य व्यक्ति   (वह, वे) के लिए करता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ।

पुरुषवाचक सर्वनाम के 3 भेद हैं-

उत्तम पुरुषवाचक-

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला अपने लिए करता है, उन्हेँ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ।

जैसे-
मैँ, मुझको, हमनें, हमारा, मुझे, मैँने आदि।

मध्यम पुरुषवाचक-

जिस सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला सुनने वाले या पढ़ने वाले के लिए किया जाता है उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ।

जैसे– तुम, तू, आप, तुम्हारा, तुमनें, तुमसे, तुझको, तूने आदि।

अन्य पुरुषवाचक-
      
जिन सर्वनाम शब्दोँ का प्रयोग बोलने वाला किसी अन्य व्यक्ति के लिए करता है उन्हेँ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैँ।

जैसे-
वे, उसे, इसने, उसको, उसने, उन्होँने, उनका, उनकी आदि।

2. निजवाचक सर्वनाम-

ऐसे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला स्वयं अपने लिए या लिखने वाला स्वयं अपने लिए करता है, निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

जैसे-

आप, खुद, अपना, स्वयं आदि।

अपना काम स्वयं करो।
वह स्वयं चली गई। 
उन्होंने मुझे बुलाया और स्वयं चलते बने।

नोट-

पुरूषवाचक सर्वनाम में "आप" सम्मानपूर्वक संबोधन के लिए उपयुक्त होता है।

निजवाचक सर्वनाम में "आप" स्वयं के लिए उपयुक्त होता है।

उदाहरण-

उन्होंने मुझे बुलाया और "आप" चलते बने। (निजवाचक सर्वनाम)

"आप" कब आए?  (मध्यमपुरूषवाचक सर्वनाम)

3. सम्बन्धवाचक सर्वनाम-

जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वाक्य मेँ उपयोग किये गए संज्ञा या सर्वनाम का अन्य संज्ञा या सर्वनाम के साथ परस्पर सम्बन्ध ज्ञात हो उन्हेँ सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैँ। 

जैसे-

जो, सो, जैसा, वैसा, जिसका, उसका आदि।

जिसकी लाठी उसकी भैँस,
जो करेगा वो भरेगा,
जिस थाली में खाना उसी में छेद करना।

4. प्रश्नवाचक सर्वनाम-

जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के स्थान पर भी आते हैं और वाक्य में प्रश्न करने के लिए भी उपयुक्त होते हैं उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। 

जैसे- कौन, क्या, क्योँ, किससे, कब, किसको, किसने आदि।

कौन आया है?
किससे बात कर रहे हो?
किसे भूख लगी है?

5. निश्चयवाचक सर्वनाम-

जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध कराते हैं उन्हेँ निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैँ। ये सर्वनाम ‘संकेतवाचक’ या ‘निर्देशक सर्वनाम’ भी कहलाते हैं।

जैसे-
यह, ये, वह, वे, इन्होँने, उन्होँने आदि।

नोट- समीप वस्तु के लिए ‘यह’ तथा दूर की वस्तु के लिए ‘वह’ का प्रयोग होता है। 

6. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-

जिन सर्वनामोँ से किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु का ज्ञान न हो, उन्हेँ अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैँ। 

जैसे-

कोई, कुछ, किसी आदि।

नोट- प्राणियोँ के लिए ‘कोई' और पदार्थोँ के लिए ‘कुछ’ का प्रयोग किया जाता है। 

कोई तो होगा बाहर।
कुछ खा लो।

Saturday, September 10, 2016

संज्ञा और उसके भेद

संज्ञा-

किसी व्यक्ति, स्थान, जाति, भाव, द्रव्य आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

जैसे-
मोहन (व्यक्ति),
दिल्ली (स्थान),
पशु (जाति),
क्रोध (भाव),
तेल (द्रव्य) आदि।

--संज्ञा के भेद

संज्ञा के 5 भेद हैं-

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
5. समूहवाचक संज्ञा

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दोँ से किसी एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान विशेष का बोध हो, उन शब्दोँ को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैँ। जैसे-

व्यक्तियोँ के नाम-

राम, मोहन, अदिति, शबनम, पूजा, कंचन आदि।

देशों के नाम-

भारत, अमेरिका, फ्रांस, ईरान, नेपाल, थाईलैंड आदि।

नगरोँ के नाम-

चंडीगढ़, मुंबई, मद्रास, कैलिफोर्निया, पैरिस आदि।

दिशाओँ के नाम-

पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण,  नैऋत्य, आग्नेय, ईशान, वायव्य आदि।

नदियोँ के नाम-

गंगा, यमुना, नील, मिसिसिप्पी आदि।

पर्वतोँ के नाम-

हिमालय, ऐल्प्स, फ़ूजी, विंध्याचल आदि।

सागरोँ, महासागरों के नाम-

हिन्द महासागर, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, अरब सागर आदि।

दिनोँ के नाम-

सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरूवार आदि।

महीनोँ के नाम-

जनवरी, फरवरी, मार्च, चैत्र, वैशाख, भाद्रपद आदि।

ग्रह-नक्षत्रोँ के नाम-

सूर्य, चन्द्रमा, शनि, मंगल, वृहस्पति आदि।

समाचार- पत्रोँ के नाम-

दैनिक भास्कर, ट्रिब्यून, सामना आदि।

पुस्तकोँ के नाम-

महाभारत, आर्यभट्टीय, डिस्कवरी आफ इंडिया, नाट्यशास्त्र आदि।

2. जातिवाचक संज्ञा-

जिन संज्ञा शब्दों से उनकी पूरी जाति का बोध होता है उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - मनुष्य, पशु, नगर, गाँव, नदी, पर्वत, घोड़ा, पक्षी, लड़का, कुत्ता, गाय, पेड़, स्त्री, पुरूष, नर,  नारी, मामा, बुआ, पण्डित, क्षत्रिय, लेखक, कवि, आदि।

3. भाववाचक संज्ञा-

जिन संज्ञा शब्दों से किसी भाव, गुण, दोष, दशा आदि का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- मुस्कुराहट, मिठास, अपनापन, परायापन आदि।


भाववाचक संज्ञा बनाना-


--जातिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना

जातिवाचक - भाववाचक

पशु - पशुता

मनुष्य - मनुष्यता

शहर - शहरी

बूढ़ा - बुढ़ापा

शत्रु - शत्रुता

मित्र - मित्रता

मूर्ख - मूर्खता

घर - घरेलू

देहात - देहाती

समाज - सामाजिकता

विद्वान - विद्वत्ता

जाति - जातीयता

स्त्री - स्त्रीत्व

पंडित - पांडित्य

चोर  -    चोरी

क्षत्रिय -  क्षत्रियत्व  

ब्राह्मण  -   ब्राह्मणत्व
     
डाकू -  डाका, डकैती      


--सर्वनाम शब्दों से भाववाचक

अपना - अपनत्व, अपनापन

मम  -   ममत्व
 
निज  - निजत्व                          
पराया -  परायापन

अहम्  -  अहंकार


--विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

विशेषण - भाववाचक संज्ञा

सुंदर - सुंदरता

कठोर - कठोरता

गर्म - गर्मी

ठण्डा - ठण्डक

चौड़ा - चौड़ाई

गन्दा - गन्दगी

सामाजिक - सामाजिकता

काला - कालापन

नीला - नीलापन

लाल - लाली

वीर - वीरता

लालची - लालच

डरावना - डर

क्रोधी - क्रोध

बड़ा - बड़प्पन

छोटा - छुटपन/छोटापन

लम्बा - लम्बाई

भिन्न - भिन्नता

शांत - शान्ति

गुरु - गुरुता

सभ्य - सभ्यता

एक - एकता

नीच - नीचता

मीठा - मिठास

कायर - कायरता

अच्छा  - अच्छाई

उचित - औचित्य

आवश्यक  -  आवश्यकता


--क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

क्रिया - भाववाचक संज्ञा

चढ़ना - चढ़ाई

पढ़ना - पढ़ाई

लड़ना - लड़ाई

झुकना - झुकाव

कूदना - कूद

तनना - तनाव

लिखना - लिखावट

दौड़ना - दौड़

घबराना - घबराहट

बनाना - बनावट

मिलाना - मिलावट

निकलना - निकास

निकालना - निकासी

विकसित होना - विकास

चुनना  -  चुनाव  
   
जीतना  -  जीत

कहना  -  कहावत

मुस्कराना -  मुस्कराहट

भिड़ना   -   भिड़न्त

ठगना -   ठगी  


--विस्मयादिबोधक से भाववाचक

वाह-वाह     वाह-वाही

हा-हा         हाहाकार


4. द्रव्यवाचक संज्ञा-

जिन संज्ञा शब्दों से किसी द्रव्य, धातु आदि का बोध होता हो जिन्हें नापा या तौला जा सके उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- सोना, दूध, पीतल, तांबा, घी, पानी आदि।

5. समूहवाचक संज्ञा-

जिन संज्ञा शब्दों से किसी समूह अथवा समुदाय का बोध हो उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- भीड़, सेना, गुच्छा, झुंड, मेला, जुलूस आदि।

भाववाचक संज्ञा बनाना

भाववाचक संज्ञा-

जिन संज्ञा शब्दों से किसी भाव, गुण, दोष, दशा आदि का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- मुस्कुराहट, मिठास, अपनापन, परायापन आदि।

भाववाचक संज्ञा बनाना-

भाववाचक संज्ञा जातिवाचक शब्दों से, सर्वनाम शब्दों से, विशेषण शब्दों से, क्रिया शब्दों से और विस्मयादिबोधक शब्दों से बनाई जाती, आइए देखें-

1. जातिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना

जातिवाचक - भाववाचक

पशु - पशुता

मनुष्य - मनुष्यता

शहर - शहरी

बूढ़ा - बुढ़ापा

शत्रु - शत्रुता

मित्र - मित्रता

मूर्ख - मूर्खता

घर - घरेलू

देहात - देहाती

समाज - सामाजिकता

विद्वान - विद्वत्ता

जाति - जातीयता

स्त्री - स्त्रीत्व

पंडित - पांडित्य

चोर  -    चोरी

क्षत्रिय -  क्षत्रियत्व  

ब्राह्मण  -   ब्राह्मणत्व
     
डाकू -  डाका, डकैती      

2. सर्वनाम शब्दों से भाववाचक

अपना - अपनत्व, अपनापन

मम  -   ममत्व
 
निज  - निजत्व      
                   
पराया -  परायापन

अहम्  -  अहंकार

3. विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

विशेषण - भाववाचक संज्ञा

सुंदर - सुंदरता

कठोर - कठोरता

गर्म - गर्मी

ठण्डा - ठण्डक

चौड़ा - चौड़ाई

गन्दा - गन्दगी

सामाजिक - सामाजिकता

काला - कालापन

नीला - नीलापन

लाल - लाली

वीर - वीरता

लालची - लालच

डरावना - डर

क्रोधी - क्रोध

बड़ा - बड़प्पन

छोटा - छुटपन/छोटापन

लम्बा - लम्बाई

भिन्न - भिन्नता

शांत - शान्ति

गुरु - गुरुता

सभ्य - सभ्यता

एक - एकता

नीच - नीचता

मीठा - मिठास

कायर - कायरता

अच्छा  - अच्छाई

उचित - औचित्य

आवश्यक  -  आवश्यकता

4. क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

क्रिया - भाववाचक संज्ञा

चढ़ना - चढ़ाई

पढ़ना - पढ़ाई

लड़ना - लड़ाई

झुकना - झुकाव

कूदना - कूद

तनना - तनाव

लिखना - लिखावट

दौड़ना - दौड़

घबराना - घबराहट

बनाना - बनावट

मिलाना - मिलावट

निकलना - निकास

निकालना - निकासी

विकसित होना - विकास

चुनना  -  चुनाव  
   
जीतना  -  जीत

कहना  -  कहावत

मुस्कराना -  मुस्कराहट

भिड़ना   -   भिड़न्त

ठगना -   ठगी  


5. विस्मयादिबोधक से भाववाचक

वाह-वाह     वाह-वाही

हा-हा         हाहाकार

Friday, September 9, 2016

आदिकाल का नामकरण

जय श्री गणेश
जय देवी सरस्वती
जय श्री हरि

आदिकाल का नामकरण


हिंदी साहित्य के सभी कालों के नामकरण में से आदिकाल का नामकरण ही सबसे अधिक विवादित है।

विभिन्न विद्वानों के विभिन्न मत-

1. डॉ. ग्रियर्सन - चारणकाल

2. मिश्रबंधुओं - प्रारंभिककाल

3. आचार्य रामचंद्र शुक्ल- वीरगाथा काल

4. रामकुमार वर्मा- संधि, चारण काल

5. गणपतिचंद्र गुप्त- प्रारंभिककाल

6.  राहुल संकृत्यायन - सिद्ध सामंत युग

8. महावीर प्रसाद द्विवेदी - बीजवपन काल

9.विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - वीरकाल

10. रमाशंकर शुक्ल रसाल- जयकाल

11. मोहन अवस्थी- आधारकाल

12. वासुदेव सिंह- उद्भवकाल

13. धीरेंद्र वर्मा- अपभ्रंश काल

14. हजारी प्रसाद द्विवेदी - आदिकाल

यही स्वीकार्य है।