मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म ३ अगस्त १८८६ (3 August 1886)
में झांसी के
पास चिरगांव में हुआ।
मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के महत्वपूर्ण कवि थे। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली में अपनी रचनाएँ लिखीं सन 1905 में 'सरस्वती' में गुप्तजी की पहली कविता 'हेमंत' प्रकाशित हुई।
मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रपिता गांधी जी के भी सम्पर्क में आये और गांधी
जी ने उन्हें "राष्टकवि" की संज्ञा प्रदान की।
१९५३(1953) ई. में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया और १९५४ (1954) में साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र
में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
मैथिलीशरण गुप्त जी की रचनाएँ - दो महाकाव्य, 19 खण्डकाव्य, काव्यगीत, नाटिकायें आदि
लगभग 74 रचनाएँ की हैं।
लगभग 74 रचनाएँ की हैं।
महाकाव्य-
साकेत और
यशोधरा
यशोधरा
खंड काव्य-
जयद्रथ वध,
भारत-भारती,
पंचवटी,
द्वापर,
सिद्धराज,
नहुष,
अंजलि और अर्ध्य,
अजित,
अर्जन और विसर्जन,
काबा और कर्बला, किसान,
कुणाल गीत,
गुरु तेग बहादुर,
गुरुकुल,
जय भारत,
झंकार,
पृथ्वीपुत्र,
मेघनाद वध
नाटक -
रंग में भंग,
राजा-प्रजा,
वन वैभव,
विकट भट,
विरहिणी व्रजांगना, वैतालिक,
शक्ति,
सैरन्ध्री,
स्वदेश संगीत,
हिडिम्बा, हिन्दू
रंग में भंग,
राजा-प्रजा,
वन वैभव,
विकट भट,
विरहिणी व्रजांगना, वैतालिक,
शक्ति,
सैरन्ध्री,
स्वदेश संगीत,
हिडिम्बा, हिन्दू
अनूदित-
मेघनाथ वध,
वीरांगना,
स्वप्न वासवदत्ता,
रत्नावली,
रूबाइयात उमर खय्याम
मेघनाथ वध,
वीरांगना,
स्वप्न वासवदत्ता,
रत्नावली,
रूबाइयात उमर खय्याम
मैथिलीशरण गुप्त जी ने 5 मौलिक नाटक लिखे हैं- ‘अनघ’, ‘चन्द्रहास’, ‘तिलोत्तमा’, ‘निष्क्रिय प्रतिरोध’ और ‘विसर्जन’।
उन्होने भास के चार नाटकों- ‘स्वप्नवासवदत्ता’, ‘प्रतिमा’, ‘अभिषेक’, ‘अविमारक’ का अनुवाद भी किया है।
काव्यगत विशेषताएँ
इनके काव्य में राष्ट्रीयता और गांधीवाद की प्रधानता
है।
भारत की महान संस्कृति और गौरवमय इतिहास का महत्व है।
भारत के इतिहास की महान नारियों का अपने काव्य में चित्रण किया।
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